हाथरस में एक बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई है. मारे गए लोगों का पोस्टमार्टम आगरा में किया जा रहा है. बुधवार को हाथरस से आगरा आए 21 शवों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अब सामने आ चुकी है, जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ज्यादातर लोगों की दम घुटने से मौत होने का जिक्र है. रिपोर्ट के मुताबिक तीन लोगों की मौत हेड इंजरी से हुई. शॉक और हैमरेज से भी अन्य तीन लोगों की जान चली गई. हाथरस भगदड़ कांड के बाद 21 शव पोस्टमार्टम के लिए आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे.

छाती में खून जमने से दम घुटा

पोस्टमार्टम हाउस में 8 डॉक्टरों की ड्यूटी लगी थी. सीएमओ अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि ज्यादातर मामलों में छाती में खून जमने से लोगों का दम घुटा. उन्होंने बताया कि जितने शव आए उन सभी के शरीर मिट्टी से भरे हुए थे. 21 शवों में 35 से 60 साल की महिलाएं शामिल थीं.

अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि ज्यादातर लोगों की मौत सीने में चोट लगने के कारण हुई. भगदड़ के दौरान कई लोग इसलिए मारे गए क्योंकि अन्य लोग उन पर गिर पड़े थे. कुछ लोगों की मौत दम घुटने से भी हुई क्योंकि कीचड़ उनके शरीर के भीतर घुस गया था.

पुलिस ने मुख्य सेवादार को बनाया आरोपी

हादसे के बाद सत्संग के आयोजक से लेकर प्रशासन तक कठघरे में खड़ा है. 24 घंटे बाद भी घटना के गुनहगार फरार हैं. खुद बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा लापता है. उसके बारे में किसी को कोई खबर नहीं है. मुख्य सेवादार और आयोजन समिति का प्रभारी देव प्रकाश का मधुकर भी अब तक पुलिस के हाथ नहीं आया है. पुलिस एफआईआर में देव प्रकाश को मुख्य आरोपी बनाया गया है. 

सुरक्षाकर्मियों को दिए गए थे कोड वर्ड

सूत्रों की मानें तो बाबा की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों को कोड वर्ड दिए गए थे. गुलाबी ड्रेस वाले सेवादार नारायणी सेना के नाम से जाने जाते थे. ब्लैक कमांडो जो काफिले के साथ चलते थे उन्हें गरुण योद्धा कहा जाता था.

सिर पर टोपी लगाने वाले और ब्राउन ड्रेस पहनने वाले को हरी वाहक नाम दिया गया था. ब्लैक कमांडो यानी गरुण योद्धा 20-20 की टुकड़ी में होते थे. गुलाबी ड्रेस वाले नारायणी सेना 50-50 की टुकड़ी में होते थे. हरि वाहक यानी टोपी और ब्राउन ड्रेस वाले 25-25 की टुकड़ी में होते थे.



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