भारत के कई राज्यों में मॉनसून का रौद्र रूप दिखाई देना शुरू हो गया है. भारी बारिश से कहीं सड़कें बह रही हैं तो कहीं एक के बाद ब्रिज ढह रहे हैं. जगह-जगह पानी भर रहा है और आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त है. बिहार-हिमाचल प्रदेश से गुजरात तक तबाही का मंजर नजर आ रहा है.

गुजरात में जगह-जगह पानी

गुजरात के जुनागढ़ में एक जुलाई को भारी बारिश हुई की वजह से मांगरोल, केशोद के 107 गांव अस्त-व्यस्त हुए. फिलहाल बारिश रुकी हुई है फिर भी यहां घुटनों तक पानी भरा हुआ है. दरअसल, ओझत्त नदी का पानी पूरे इलाके में फेल जाता है जिससे लगता है मानो समंदर ही यहां आ पहुंचा हो. सूरत के बलेश्वर गांव का हाल भी बेहाल है. यहां पिछले तीन-चार दिन से जलभराव के चलते गांव के आस-पास समंदर का टापू जैसा नजर आ रहा है. 

गांव वालों का कहना है कि वैसे तो हर साल बरसाती पानी भरता है लेकिन पलसाना इलाके में औद्योगिक इकाइयों में खाड़ी के बीच दीवार खड़ी कर दी है जिसके चलते खाड़ी का बहाव कम हो गया है और खाड़ी में आने वाला पानी तेजी से बाहर निकल नहीं पा रहा है. गांव की इस हालत के लिए उद्योगपति जवाबदेह हैं. गांव के कुछ लोग तो घरों के चारों तरफ़ भरे पानी में रहने को मजबूर हैं. उन घरों में रहने वाले बुजुर्गों को सुरक्षित जगह शिफ़्ट किया गया है. घरों में रहने वाले युवा घरों में ही रह रहे हैं और ज़रूरत पड़ने पर पानी के भीतर से आवाजाही करते है.

वहीं, सूरत शहर से बारडोली की तरफ जाने वाले हाईवे पर दास्तान रेलवे क्रॉसिंग पर सरकार द्वारा एक ओवर ब्रिज पिछले 10 सालों में तैयार किया गया. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही उस ओवर ब्रिज का उद्घाटन किया गया था. इस बात को अभी चंद महीने ही बीते हैं कि ओवरब्रिज की सड़क एक जगह पर धंस गई, सड़क पर दरारें पड़ गई हैं, जिससे साफ होता है कि ब्रिज को बनाने में कहीं ना कहीं ठेकेदार द्वारा भ्रष्टाचार हुआ है.

सूरत के ही सनिया हेमद गांव में स्थित खोडियार माता का मंदिर भी पानी में डूब चुका है. गांव में चौबारे पर बैठने वाली जगह पर भी पानी भरा हुआ है. सनिया हेमद गांव में बरसाती पानी के चलते हर साल इस तरह की समस्या उत्पन्न होती है लेकिन प्रशासन कभी भी इस समस्या का निराकरण लाने के लिए कोई भी कम नहीं उठाता है. यही वजह है कि हर साल लोग इसी तरह बरसात के मौसम में जलभराव की दिक्कत का सामना करते हैं.

राजस्थान में सड़कें जलमग्न, कई वाहन फंसे

राजस्थान का हाल भी कुछ ऐसा ही है. जयपुर में पहली ही बारिश से सड़कें जलमग्न हो गई हैं. जलभराव के चलते कई वाहन फंसे हैं. वहीं, शहर की कई कच्ची बस्तियों में पानी भर गया है. यहां सिविल डिफेंस की रेस्क्यू टीम ने अलर्ट पर है.

वहीं, अलवर के बाला किला क्षेत्र में हाथी कुंड पर तेज झरना चल रहा है. पहली बार इस झरने में पानी आया है. लोग बड़ी संख्या में झरना देखने पहुंच रहे हैं. दूसरी ओर मुंबई अब भी राहत वाली बारिश के लिए तरस रही है.

बिहार में ढहते जा रहे पुल

बिहार के सारण जिले में दो और पुल ढह गए हैं, दोनों एक दूसरे से बमुश्किल एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित थे. पहला पुल 2004 में तत्कालीन विधायक धूमल सिंह की अनुशंसा पर जनता बाजार थाना क्षेत्र के ढोढ नाथ मंदिर के पास गंडकी नदी पर बना था. पानी के तेज बहाव को वह झेल नहीं सका, जिससे एक खंभा नदी की धारा में बह गया. दूसरा पुल, गंडकी नदी पर ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था और 100 साल से अधिक पुराना है. मॉनसून की पहली भारी बारिश के बाद यह भी नदी के तेज प्रवाह के आगे झुक गया और नदी में डूब गया. इसके ढहने से पुल के दोनों ओर के गांवों का संपर्क पूरी तरह से कट गया है.

अस्पताल में पानी-पानी

सीवान में पुल टूटने की तीसरी घटना महाराजगंज अनुमंडल के देवरिया गांव में हुई, जहां गंडक नदी पर बने पुल का एक पिलर टूट गया और पुल ध्वस्त हो गया. बताया जा रहा है कि यह पुल करीब 40 साल पुराना था. पुल टूटने की चौथी घटना महाराजगंज प्रखंड के तेवता पंचायत में हुई. स्थानीय लोगों ने बताया कि यह पुल 5 साल पहले ही बना था. पुल टूटने की पांचवीं घटना भी महराजगंज के धमही गांव में हुई. कैमूर जिले के मोहनिया में भारी बारिश के कारण अनुमंडलीय अस्पताल मोहनिया में घुटनों तक पानी भर गया है, जिससे परिसर तालाब में तब्दील हो गया है. नालियों का गंदा पानी इमरजेंसी वार्ड और पर्ची काउंटर में घुस गया है, मरीजों को पानी के बीच रहना पड़ रहा है. परिजनों ने अधिकारियों से पानी निकासी की अपील की, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि बारिश रुकने के बाद पानी निकासी होगी.

हिमाचल प्रदेश-पुल में दरारें, राष्ट्रीय राजमार्ग को खतरा

हिमाचल प्रदेश में भी बुरा हाल है. पिछले मॉनसून में भारी बारिश के कारण चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर सड़क पूरी तरह से बह गई थी, जिससे नौ महीने तक राजमार्ग बंद रहा था. फिर इस पुल के निर्माण पर 40 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई. अब हाल ही में हुई भारी बारिश के बाद पुल में दरारें आ गई हैं, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग को खतरा पैदा हो गया है. ये दरारें धीरे-धीरे बढ़ती जा रही हैं. स्थानीय लोगों ने जहां-जहां दरारें हैं, वहां पत्थरों से खतरे के निशान बना दिए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोग उस क्षेत्र से सावधानी से गुजरें. 

नेशनल हाईवे पर कैंची मोड़ के पास भूस्खलन के कारण एक ट्रक मलबे में दब गया है. यह ट्रक खराब होने के कारण वहां खड़ा था. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सागर चंद्र ने चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग क्षतिग्रस्त होने के कारण वाहन चालकों से सावधानी पूर्वक वाहन चलाने की अपील की है. राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिन स्थानों पर सड़क टूटने की खबरें आई हैं, वहां एकतरफा यातायात की अनुमति दी जा रही है.
 



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